Adipurush: आदिपुरुष के मेकर्स को कोर्ट आने का आदेश: बेंच ने कहा- फिल्म के कुछ सीन बेहद अपमानजनक
Adipurush movie: आदिपुरुष मूवी
Adipurush movie: फिल्म ‘आदिपुरुष‘ में भगवान श्रीराम, माता सीता और भगवान हनुमान जैसे धार्मिक पात्रों का शर्मनाक और घिनौना चित्रण करके इसके मेकर्स ने बड़े पैमाने पर लोगों की भावनाओं को आहत किया है। अब इसी बीच इलाहाबाद न्यायालय ने फिल्म ‘आदिपुरुष’ के निर्देशक ओम राउत और डायलॉग राइटर मनोज मुंतशिर शुक्ला को कोर्ट में व्यक्तिगत रुप से उपस्थित होकर अपनी बात रखने की मांग की है।
कोर्ट ने कहा- फिर से हो सर्टिफिकेट की समीक्षा
न्यायधिस राजेश सिंह चौहान और जस्टिस श्री प्रकाश सिंह की बेंच ने केंद्र सरकार को प्रभास, सैफ अली खान और कृति सेनन अभिनीत फिल्म को जारी किए गए सर्टिफिकेट की फिर से समीक्षा करने के लिए एक समिति गठित करने का भी निर्देश दिया है।
धार्मिक पात्रों की पवित्रता का नहीं रखा ध्यान
28 जून 2023 को दिए अपने आदेश में न्यायालय ने यह भी कहा है कि फिल्म के डायलॉग राइटर सहित फिल्म निर्माताओं ने मूवी में धार्मिक पात्रों को उनकी पवित्रता का ध्यान रखे बिना पेश किया है।
इस संबंध में न्यायलय ने आगे कहा कि फ्रीडम ऑफ स्पीच और एक्सप्रेशन के नाम पर किसी को भी शालीनता या नैतिकता या पब्लिक ऑर्डर आदि के खिलाफ कुछ भी करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है।
बेंच ने कहा- प्रथम दृष्टि से ही घटिया है यह फिल्म
न्यायालय ने कहा, ‘हमारे लिए, यह फिल्म पहली नजर से ही इंडियन कॉन्स्टिट्यूशन के आर्टिकल 19 के तहत निर्धारित किए गए टेस्ट में ही क्वालीफाई नहीं होती है न केवल फिल्म के डायलॉग घटिया भाषा के हैं, बल्कि देवी सीता को चित्रित करने वाले फिल्म के कई सीन भी उनके चरित्र के लिए अपमानजनक हैं। विभीषण की पत्नी का चित्रण करने वाले कुछ सीन भी पहली नजर से ही आपत्तिजनक हैं। यहां तक कि रावण, उसकी लंका आदि का पिक्चराइजेशन भी कितना फनी और चीप है।’
कोर्ट- मेकर्स ने लोगों के इमोशंस का भी ख्याल नहीं रखा
न्यायालय ने आगे कहा, ‘ऐसी मूवी बनाते समय, फिल्म बनाने वाले और डायलॉग लिखने वाले ने बड़े पैमाने पर किरदारों और संवादों को शर्मनाक व अश्लील तरीके से पेश करते हुए पब्लिक के इमोशंस और फीलिंग्स का ख्याल नहीं रखा है, वो भी यह जानते हुए कि ये किरदार पूज्यनीय हैं।’
सेंसर बोर्ड ने पूरी नहीं की लीगल ड्यूटी
इसके साथ ही न्यायालय ने इस बात पर भी जोर दिया कि सेंसर बोर्ड सिनेमैटोग्राफ अधिनियम, 1952 के सेक्शन 5-बी के तहत जारी गाइडलाइन्स को फॉलो किए बिना फिल्म रिलीज करने के लिए सर्टिफिकेट जारी करते समय अपनी लीगल ड्यूटी पूरी करने में असफल रहा।
न्यायालय ने ये टिप्पणियां उन दो याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए कीं जिसमें फिल्म ‘आदिपुरुष‘ से आपत्तिजनक संवादों और दृश्यों को हटाने का निर्देश देने की मांग की गई थी।
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