Daksh Prajapati Jayanti Kab Hai: दक्ष प्रजापति जयंती कब है, जानिए तिथि

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now

भारत की संस्कृति और धार्मिक परंपराएं बेहद समृद्ध और गूढ़ हैं, जहां हर पर्व, हर जयंती किसी विशेष आत्मा, ऋषि या देवी-देवता को समर्पित होती है। ऐसी ही एक विशेष और श्रद्धास्पद तिथि है दक्ष प्रजापति जयंती। यह दिन उन महान प्रजापति दक्ष को समर्पित होता है जो सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा जी के पुत्र थे और जिनका स्थान हिंदू धर्म में एक अत्यंत महत्वपूर्ण यज्ञकर्ता और राजर्षि के रूप में जाना जाता है।

दक्ष प्रजापति जयंती की तिथि और महत्त्व

Daksh Prajapati जयंती हर वर्ष हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है। यह दिन विशेष रूप से उन लोगों के लिए श्रद्धा का केंद्र होता है जो सनातन धर्म की परंपराओं से जुड़े हैं और प्राचीन ऋषि-मुनियों की शिक्षाओं को महत्व देते हैं। इस दिन भक्त व्रत रखते हैं, यज्ञ का आयोजन करते हैं और दक्ष प्रजापति की कथाओं का श्रवण करते हैं ताकि जीवन में धर्म, संयम और कर्म की प्रेरणा ली जा सके।

कौन थे दक्ष प्रजापति? जानिए उनका जीवन और योगदान

दक्ष प्रजापति को ब्रह्मा जी के मानस पुत्रों में से एक माना जाता है। वे न केवल एक कुशल प्रशासक थे, बल्कि सृष्टि विस्तार के कार्य में भी उनका अत्यंत महत्वपूर्ण योगदान था। दक्ष ने अपनी पुत्रियों का विवाह देवताओं, ऋषियों और मुनियों से कराकर पूरे ब्रह्मांड में संतुलन बनाए रखा। उनकी पुत्री सती का विवाह भगवान शिव से हुआ था, जो आगे चलकर पौराणिक कथा ‘दक्ष यज्ञ’ का कारण बनी। इस कथा में यज्ञ, तप और अहंकार का गहरा संदेश छिपा है।

Daksh Prajapati
Daksh Prajapati

धार्मिक मान्यताएं और पूजा विधि

इस दिन मंदिरों में विशेष पूजन का आयोजन होता है और श्रद्धालु दक्ष प्रजापति की मूर्तियों अथवा चित्रों के समक्ष दीप जलाकर प्रार्थना करते हैं। कई स्थानों पर यज्ञ और भागवत कथा का आयोजन भी किया जाता है। यह जयंती केवल एक पर्व नहीं, बल्कि उस संतुलन, कर्म और सृष्टि निर्माण की प्रेरणा है जो दक्ष ने अपने जीवन से दी।

Also Read: दक्ष प्रजापति जयंती 2025: एक पौराणिक उत्सव

Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं और पंचांग आधारित स्रोतों पर आधारित है। यह लेख केवल सामान्य जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। किसी भी पूजा-पद्धति या तिथि की पुष्टि अपने नजदीकी पंडित या आधिकारिक पंचांग से अवश्य कर लें।

Leave a Comment